आखिर कब रूकेगा गैंगरेप का सिलसिला

आखिर कब रूकेगा गैंगरेप का सिलसिला

मुसापिफर देहलवी


आज से कुछ वर्ष पूर्व गीता हत्या काण्ड को लेकर जिसमें रंगा बिल्ला रेप और हत्याकाण्ड का जिव्रफ आया था इसको लेकर पहले भी कापफी हो हल्ला मचा, लेकिन यह मामला कुछ दिनों बाद शांत हो गया। इसके कुछ सालों बाद एक और बलात्कार का मामला धैला कुआं के आसपास घटा, यह मामला युवती द्वारा कार से लिफ्रट मांगने को लेकर सामने आया जिसमें कार चालकों ने उक्त युवती से बलात्कार कर उसे छोड़ दिया।


इस तरह के अनेको मामले आए दिन अखबार की सुर्खियों में पढ़ने व देखने को मिल रहे है और उस आधर पर दिल्ली एक वहशी दरिंदों की गिरफ्रत में जकड़ी दिखाई दे रही है, जिसके लिए आज यही कहा जा रहा है कि अब महिलाओं की इज्जत कहीं भी सुरक्षित नहीं है, क्योंकि अब सार्वजनिक स्थलों से लेकर चलती बसों और टैक्सी आदि में कहीं भी रात तो क्या अब दिन के उजाले में भी यह घटनाएं हो रही है। जिसमें अब राजधनी व उनसे सटे क्षेत्रों में इस तरह की घटनाएं दिनों दिन बढ़ती जा रही है। जिसके चलते राजधनी और उसके आसपास बलात्कार की घटनाओं में इसका ग्रापफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है, क्योंकि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष गैंगरेप काण्ड कुछ अध्कि हुए, इन शर्मनाक घटनाओं से हर व्यक्ति अब यह सोचने पर मजबूत हो गया है क्या वह अपने बीवी बच्चों के साथ कही अकेले में आ जा सकता है?


क्योंकि जिस हिसाब से व्रूफर मानसिकता का जहर आज लोगों को इस घिनौनी सोच के तहत हिंसक व अपराध्कि भावनाओं का जन्म दे रहा है उस आधर पर ऐसा लगता है अब हमारा समाज वाकई दिशाहीन सोच को लेकर जी रहा है, उसमें इस तरह की दरिंदगी वाली मानसिकता इस तरह रच बस गई है जिसके लिए हम किस दुनिया को दोष दें क्या यह सब पाश्चात्य सांस्वृफतिक का पफल है? लेकिन वहां पर इस तरह की मानसिकता है ही नहीं क्योंकि वहां पर सभी कुछ स्वछंद रूप से उनकी सभ्यता के अनुकूल होता है जहां पर लड़की-लड़का व प्रेमी-प्रेमिका अपने प्रेम का इजहार स्वतंत्रा रूप से करते है, वहां पर इस तरह की कुंठित मानसिकता वाले लोग नहीं है। वहां पर बलात्कार जैसी घटनाएं बहुत कम ही देखने में आती है।


लेकिन हमारी दिल्ली जहां एक ओर विकास और प्रगति की पहचान कराते हुए सारी दुनिया में अपनी एक विशेष पहचान बनाए हुए है, वहीं दूसरी ओर वह अपने चेहरे पर बलात्कार और महिलाओं के प्रति उसे नोच खाने वाले शैतानी प्रवृत्ति का हिंसक स्वरूप हर किसी को आज इतना भयानक लगने लगा है कि वह अब रात के अंध्ेरे की अपेक्षा अब दिन के उजाले में भी अकेला किसी अनजाने भय से मुक्ति नहीं पा रहा है। उसका उदाहरण हमारे सामने कई रूपों में देखने को मिला है, जब एक अध्ेड़ महिला का रेप एक रिक्शा चालक ने सुनसान जगह पर जाकर कर दिया था। इसी तरह एक स्कूल की छात्रा को कुछ युवक दिन दहाड़े अपनी गाड़ी में डालकर ले गए, बाद में उसको अर्धनग्न अवस्था में दूर दराज इलाके में उतार कर चले गए। जिसका खुलासा कई दिन बाद हुआ।
कहने का तात्पर्य यही कि आज इस तरह के अपराध्यिं को पुलिस व प्रशासन का जरा सा भी डर नहीं है कि वह किस तरह के अपराध् को अंजाम दे रहा है और उसका अंत क्या होगा? उसके लिए केवल किसी महिला या युवती से भोग कर अपनी मानसिक पिपासा को शांत करना है जो क्षणिक सुख देने के बाद कितने बड़े गुनाह की शक्ल अख्तियार कर लेती है।

इसी वहशीपन और घिनौनी सोच को लेकर आज हमारे बीच सामाजिक दायरे में पनपते हुए ऐसे अपराध् शामिल हो रहे है जिसका पता किसी को नहीं है कि किस व्यक्ति की कैसी मानसिकता है और साथ रहने व चलने वाला व्यक्ति किस प्रवृत्ति का है, उसकी सोच कैसी है। अगर इसका पता उन्हें होता तो शायद वह दोनों दोस्त जो सिनेमा देखकर घर जाना चाहते थे, उनकी आज यह गंभीर दशा न होती और न ही वह युवती हस्पताल में जिंदगी मौत से जंग लड़ रही होती।

क्योंकि जिस तरह से महिलाओं व युवतियों के साथ सैक्सी छवि को लेकर एक अपराध्ीकरण का जो दानव अब चारों तरपफ सिर उठाने लगा है उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि इस तरह की सोच रखने वालों से कैसे बचा जाए, इसका उपाय किसी के पास नहीं है क्योंकि आप किसको सहायता के लिए पुकारेंगे? और अगर किसी ने सुन भी लिया तो क्या वहां से गुजरने वाला व्यक्ति तुम्हें बचाने का तुम्हारी रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालेगा? इसी तरह के अनेको प्रश्न हमारे सामने मुंह बाए खड़े है, जिसका शायद हमारे सामने कोई जवाब नहीं है।

हालांकि पुलिस तथा अपराध्कि आंकड़ो की रूचि में जो संख्या दिखाई गई है वह कम होने का नाम नहीं ले रही क्योंकि किसी जगह पर कुछ दोष पुलिस कर्मियों का माना जा रहा है और कहीं पर कुछ दोष उन युवतियों का है जो रात गए अकेली सड़क पर लिफ्रट मांगती है या जल्दी में घर पहुंचने की गरज से किसी भी असुरक्षित गाड़ी में बैठ जाती है, हालांकि इस दिशा में किसी चार्टड बस में बैठ जाना कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि हर चार्टड बस के सभी कर्मचारी दोषी नहीं होते और हर स्कूटर या टैक्सी चालक अपराध्ी प्रवृत्ति का नहीं होता है। जिसके चलते हम प्रत्येक बस पर टैक्सी चालक को इसका दोषी मान लें।

वैसे भी आजकल अध्कचरी मानसिकता वाले कुछ व्यक्ति और संस्कारविहीन युवक के लोग ही ऐसी पाश्विक हरकतों को अंजाम दे रहे है। जिसकी वजह से आज मानव जाति पर एक ऐसा सवालिया निशान लग गया है जिसकी ओर से समस्त मानवीयता को शर्मसार होना पड़ रहा है। जिसके चलते संसद से लेकर इण्डिया गेट, सी.एम. की कोठी से लेकर गृहमंत्रा तक इस बात की चर्चा हो रही है, आखिर इस स्थिति से कैसे निपटा जाए, इसके दोषियों को क्या सजा दी जाए ताकि आने वाली पीढ़ी भी इसका सबक ले सकें।

उसके लिए दिल्ली की मुख्यमंत्रा द्वारा भी इसकी कापफी भर्तसना की गई। यहां तक कि पक्ष और विपक्ष ने इस घिनौने कृत के लिए विशेष कानून बनाने व कड़ी से कड़ी सजा और पफांसी जैसी सजा देने की बात भी कहीं। कुछ लोगों का कहना था सजा ए मौत से अच्छा है उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी जाए, ताकि उसे अपनी गलतियों का एहसास हो सके जेल में पड़े हुए जब वह स्वयं सबसे अलग थलग पाएगा तब शायद उसे इसका एहसास हो कि आखिर उसने यह गुनाह क्यों किया। इस तरह के गुनाहां पर लगाम लगाने हेतु अब तरह-तरह के प्रस्ताव आ रहे है, जिसमें रैप करने वालों के प्रति कठोर कदम उठाए जाने की मांग और विशेष कानून बनाने का प्रावधन रखने की बात कहीं जा रही है, इसी के साथ समस्त टूरिस्ट व बसों में परदे व काले शीशे लगाने पर प्रतिबंध् लगाया जाएगा।

रात्रि में आने जाने वाली यात्रियों की निगरानी पुलिस द्वारा होगी। जिसमें बस में किसी भी व्यक्ति से पूछताछ की जाएगी। इसके साथ ड्राईवर का बैज व पफोटो आदि का चार्ट हर समय गाड़ी में रखना होगा। बस मालिकों को प्रत्येक बसों के ड्राईवरों की हर तरह की जानकारी का कोटा पुलिस में देकर रखना होगा। टैक्सियों में रोशटर लेकर चलाना होगा कि यह गाड़ी कहां और किस रूठ पर जाएगी। इसके साथ ही कुछ लोगों का कहना है यूं तो हर बस में कोई न कोई शरारती तत्व के लोग चढ़ते उतरते ही है। लेकिन अगर कहीं पर किसी बस में ऐसी कोई दुर्घटना होती है तो पफौरन पुलिस को इतला देनी चाहिए। इसके साथ ही अगर किसी भी सार्वजनिक स्थल या बस आदि में किसी से कोई छेड़छाड़ होती है तो उस महिला का साथ देना चाहिए इसी के साथ स्कूलों, कॉलेजों मेंकिसी भी प्रकार की छेड़छाड़ के विरु( होने से बचाव के लिए छात्रों को उसके बारे में बताया जाना चाहिए।

वैसे भी आजकल उनके भड़कीले वस्त्रों को लेकर आम तौर पर यही शिकायत रहती है कि अक्सर आज की युवतियां कापफी उत्तेजक व सैक्सी छवि वाले वस्त्रों का प्रयोग करती है, उस पर थोड़ी पारदर्शिता बरती जाए कि बाहर कैसे कपड़े पहने जाए। ताकि उससे किसी भी युवती के प्रति कोई घृणात्मक विचार न उत्पन्न हो जो किसी भी अंजान व्यक्ति को हिंसक बना देते है। खैर! यह लोगों के अपने विचार है जिससे लोगों को कापफी सोचना होगा और मिलजुलकर ऐसी विषय परिस्थितियों से निपटना होगा। इसके साथ ट्रैपिफक रूल भी कडाई से बरतने होंगे ताकि कोई स्कूटर वाला आध्ी रात या सूनी सड़क पर कोई सवारी या व्यक्ति हो तो उसे मना न करे। ताकि वह अकेला व्यक्ति सही दूरी से बिना किसी अज्ञात दुर्घटना से बचकर अपने घर पहुंच सके। क्योंकि ऐसी दुर्घटना होने पर लोग कुछ दिन हो हल्ला मचाते है पिफर उसे बीते हुए कल की तरह भूल जाते है और पिफर वही सब कुछ होने लगता है जिस पर पूर्ण विचार करने की आवश्यकता है ताकि ऐसी दुर्घटनाए न हों।

पिछले दिनों इस संबंध् में गृह राज्यमंत्रा आर.पी.एन. सिंह ने बिना बताए कई बसों में यात्रा करते हुए स्थिति का जायजा लिया। उनके कथानुसार वाकई कामकाजी महिलाओं को अपनी सुरक्षा के प्रति कापफी चिंता है और वह इन सबके लिए प्रयासरत है, जिसमें आम व्यक्तियों को सुरक्षा का एहसास कराया जाए।

हालांकि पिछले दिनों जिस बस कंपनी की वजह से यह वारदात हुई उसकी समस्त बसों के परमिट कैंसिल कर दिए। लेकिन यह तमाम गतिविध्यिं कानून के दायरे में उचित है। परंतु एक बस चालक की गलती का खामियाजा किसी अन्य चालक को भुगतना पड़े यह न्यायिक नहीं है। दोषी व्यक्ति की सजा एक व्यक्ति या उस अपराधी को मिलनी चाहिए। हालांकि जिस चार्टड बसों को यातायात पुलिस ने निशाना बनाया उसका खामियाजा उसमें सपफर करने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ा जो बस न मिलने के कारण देर रात अपने घर पहुंचे। खैर! अब उस पीड़ित युवती को लेकर देशभर में रोष की लहर पैफल रही है। क्या इस गुस्से से कोई सुरक्षा का रास्ता निकल पाएगा।

इसके लिए उन दुष्कर्मियों को कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो। पिफर भी आज इन सवालों के बीच कुछ ऐसे प्रश्न अब भी उभर रहे है कि इस घिनौनी मानसिकता से कैसे उभरा जाए और इस अपराध् को कौन रोकेगा? जिससे हमारा समाज जुड़ा है और सभी चिंता कर रहे है।




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