{best} दिलीप कुमार के बाद अभिताभ ही पिफल्मों के महानायक

दिलीप कुमार के बाद अभिताभ ही पिफल्मों के महानायक


मुसापिफर देहलवी


पिफल्मी दुनिया में आज अमिताभ बच्चन 70वीं सुनेहरी दुनिया के पायदान में अपना कदम रख रहे है। यह सभी पिफल्म प्रेमियों और अमिताभ के प्रशंसकों के लिए एक खुशी की खबर कही जा सकती है।
सबसे बड़ी चर्चा आज इस बात को लेकर है कि अमिताभ बच्चन आज भी अपने पिफल्मी कैरियर को लेकर एक महान कलाकार की हैसियत से पिफल्मी पर्दे से कही अध्कि छोटे पर्दे टी.वी. चैनलों के कार्यव्रफमों के चर्चित तथा लोकप्रिय बने हुए है।
इसी के चलते वह एक महानायक के रूप में स्थापित है। उनकी चर्चा आज विदेशों तक है, इसी के साथ वह कई प्रसि( कंपनियों और संस्थाओं के ब्रॉड एम्बेसडर के रूप में भी जाने जाते है और उनको देश से कही अध्कि विदेशों में उन्हें ग्रेट स्टार के रूप में पहचाना जाता है।
यह भारतीय कलाकारों के लिए वाकई एक सम्मानित व गौरवमयी बात हो सकती है। क्योंकि अमिताभ बच्चन से पहले भारतीय कलाकार विदेशों के प्रशंसकों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कर चुके है। जिनमें अभिनेता दिलीप कुमार, देवानंद, राजकपूर, शशि कपूर, आई.एस. जौहर तथा शाहरुख खान और सलमान खान जैसे नायकों के बीच अमिताभ बच्चन का नाम भी लंदन के एक संग्रहालय में मोम के पुतलों के रूप में उनकी वृफति आज भी सुरक्षित है।

जहां तक अमिताभ बच्चन का इस बुलंदी तक पहुंचना और लोकप्रिय होना उनके प्रयास और मेहतन का पफल कहा जा सकता है। शायद इसी को देखते हुए अमिताभ ने कहा था जो चलता है सो बिकता है, जो बिकता है, सो चलता है। आज इन दोनों पलड़ों के तराजू में अमिताभ चल भी रहे है और बिक भी रहे है।
अगर इस सपफलता की और मुड़ कर देखे तो अमिताभ की वह पहचान शायद नहीं नजर आए जब उन्हें यह कह कर पिफल्म निर्माता काम देने के लिए मना कर देते थे कि भाई अगर इस तरह की लंबाई वाले व्यक्ति हीरो होने लगे तो शायद हमारी दुकान ही बंद हो जाए। इस तरह के अनेकों अपमानों के घूंट पीकर अमिताभ कभी निराश नहीं हुए और न ही उन्होंने कभी अपनी हिम्मत हारी। अतः एक दिन वह प्रधानमंत्रा इंदिरा गांध्ी के कहने पर निर्माता निर्देशक ख्वाजा अहमद अब्बास से मिले, वह एक नामी लेखक और निदेशक थे। उनकी पिफल्म छोटे बजट की होती थी, जकि उनकी लिखी कहानियों पर निर्माता निर्देशक राजकपूर को विदेशों में कापफी पुरस्कार प्राप्त हुए, उनकी पिफल्मों में अनेकों पिफल्में राजकपूर ने बनाई, परंतु यहां एक दो पिफल्मों का नाम लेना ही उचित होगा।


पहली पिफल्म ‘जागते रहो’ जिसे विदेशों में सराहा गया और उन्हें पुरस्कार से नवाजा भी गया और उसके साथ चर्चित पिफल्म ‘मेरा नाम जोकर’ जो रूस तथा अन्य क्षेत्रों में कापफी लोकप्रिय हुई। यह बड़े बजट की पिफल्म थी, जिसको उतनी सपफलता नहीं मिली जितनी मिलनी चाहिए थी। अतः ख्वाजा अहमद अब्बास की पिफल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ के माध्यम से अमिताभ की एंट्री पिफल्मी दुनिया में हो गई। उसके बाद उसकी ‘रास्ते का पत्थर’, ‘बॉम्बे टू गोवा’ और ‘आनंद’ सरीखी पिफल्मों का दौर शुरू हुआ। उस समय राजेश खन्ना, र्ध्मेन्द्र और देवानंद, दिलीप कुमार जैसे सितारों के बीच जुबली कुमार राजेंद्र कुमार की पिफल्मों के साथ जितेंद्र, दारासिंह तथा बहुत से ऐसे कलाकार थे जो सहनायक के रूप में अध्कि चर्चित हुए। जिनमें राजकुमार आदि के साथ अजीत और जीवन के बेटे किरण कुमार और रहमान का नाम पर्दे पर पिफल्मों की सपफता की गारंटी माना जाता था।

उस दौर में जब ‘शोले’ पिफल्म का आगमन हुआ तो र्ध्मेन्द्र के साथ अमिताभ बच्चन जय के रूप में उभर कर आए। हालांकि लोगों ने उन्हें पिफल्म ‘जंजीर’ के माध्यम से सपफल स्टार का दर्जा देकर ही पिफल्मों का एंग्रीयंग मैन कहकर सम्बोध्ति किया, जिसमें उन्होंने पुरानी इमेज तोड़कर नई विद्रोही छवि पर्दे पर प्रस्तुत कर एक ताकतवर इमेज वाला नायक पर्दे पर जीवित कर दिखाया। जिसके पफलस्वरूप उसकी पिफल्मों का सिलसिला, ‘सौदागर’, ‘नमक हराम’, ‘लावारिस’, ‘देश प्रेमी’, ‘नसीब’, ‘मर्द’, ‘तूपफान’, ‘अजूबा’, ‘कभी कभी’, ‘सिलसिला’, ‘शंहशाह’, ‘कुली’, ‘दीवार’ आदि के बाद ‘अंध कानून’, मिस्टर नटवरलाल’, ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘शराबी’, ‘कालिया’, खून पसीना’, ‘हेरापेफरी’, ‘मुकद्दर का सिकन्दर’, ‘त्रिशूल’, ‘शान’, ‘अभिमान’, ‘चुपके चुपके’ जैसी पिफल्मों के साथ अभिनेत दिलीप कुमार के साथ जब ‘शक्ति’ में एक साथ आए तब वह दिलीप की इमेज की छवि के आगे ध्ुंध्ले होने से इसलिए अलग दिखाई दिये कि उसमें दिलीप कुमार से दूर एक छवि विद्यमान थी जो किसी मजबूरी और विवशता के आगे खुद्दारी में किसी से समझौता नहीं करती। उसी की वजह से वह अभिनेता दिलीप कुमार के बेटे की भूमिका में अपनी विशेष पहचान छोड़ते भी है। जैसा कि सभी को ज्ञात है वह स्वयं को दिलीप कुमार के सामने रखकर संजीदा पिफल्में करते रहे। लेकिन उनकी पहचान उसमें अलग ही दिखाई देती है।

खैर! इस समय जब अमिताभ बच्चन 70वें वर्ष में पहुंचकर भी अपनी पिफल्मों का जलवा दर्शकों के बीच बराबर बनाए हुए है, इसलिए उन्हें बधई देते हुएलम्बे जीवन की की ओर अग्रसर होते हुए एकसुहनरे और विशाल पफलक के सितारे के रूप में उसके उम्र दराज होने की कामनाएं हर दर्शक कर ही रहा है ।




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