(best) तेजी बढ़ते अवैध निर्माण और गिरती इमारतें !

तेजी बढ़ते अवैध निर्माण और गिरती इमारतें

by Musafir Dehlvi


पिछले दिनों दल्लूपुरा में एक भवन निर्माण के दौरान दीवान गिरने से पांच मासूम बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, जिसके लिए प्लॉट के मालिक और ठेकेदार को गिरफ्रतार किया गया। सूचना के मुताबिक एक ठेकेदार अभी पफरार है, लेकिन वह कभी भी पुलिस की गिरफ्रत में आ सकता है।
इसी के साथ इस मामले का दूसरा पहलू यह भी देखने में आया कि बच्चों की मौत का मामला जब विपक्ष के स्टैडिंग कमेटी के समक्ष रखा तब वहां गर्मागर्म बहस के दौरान यह भी कहा गया कि ग्रामीण इलाके में जो निर्माण हो रहे है वह दिल्ली सरकार के अंतर्गत नहीं आते। अतः वह इन मामलों में कुछ  न कार्यवाही करें। इसका निर्णय आम सहमति से ही होगा और इन मामलों में दिल्ली सरकार का इससे कुछ लेना देना नहीं है, यह कार्यवाही केंद्रीय स्तर पर हो या अन्य भूमिलैण्ड कानून में किस के अंतर्गत। खैर! यह एक लंबी बहस जरूर हो सकती है लेकिन आजकल सरकार की भवन न तोड़ने की आड़ में निर्माण को लेकर जो खेल खेला जा रहा है उसमें तमाम अवैध् निर्माण का सिलसिला बिल्डर लॉबी और एम.सी.डी. के इंजीनियरों की मिलीभगत से किया जा रहा है। जिसमें सरकार द्वारा पिछले दिनों यह घोषणा की गई थी, अब किसी बने हुए मकान को तोड़ा नहीं जाएगा और न ही भवन निर्माण करते समय कोई अड़चन आएगी। लेकिन वह तभी संभव होगा जब सरकार द्वारा नक्शे में मकान बनाया जा रहा हो, और उस जमीन पर मकान बनाने पर किसी प्रकार की कोई विभागीय अड़चन नहीं हो तभी मकान बनाना आसान होगा।

लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि भवन निर्माण के लिए नक्शे पास कराने की जो प्रव्रिफया है वह इतनी जटिल है कि उनकी शर्ते व उनके अनुरूप किसी भवन का नक्शा पास ही नहीं हो सकता। क्योंकि दल्लू पुरा में दीवार गिरने का मामला कोई नया नहीं इससे पहले लक्ष्मी नगर तथा चादंनी चौक आदि कई क्षेत्रों के अवैध् रूप से बनने वाली बिल्डिगें धराशाही हो गई और उस पर निगम पार्षद और आयुक्त तथा एम.सी.डी. इंजीनियर किसी से कोई पूछताछ नहीं हुई अगर हुई तो उन्हें किसी न किसी बात की गैर जिम्मेदारी का आरोप लगा कर उन्हें विभाग से बदल दिया गया।कहने का तात्पर्य यही कि आज बाहरी दिल्ली के तमाम क्षेत्रा जिनमें गीता कालोनी, रोहिणी, शाहदरा, पालम, नसीरपुर क्षेत्रा, मोहन गार्डन, महरौली, आया नगर, युसुपफ सराय, बदरपुर, प्रहलादपुर के तमाम क्षेत्रा नजरपफगढ़, कापसहेडा जो अध्किंश पहले गांव की जमीन पर बसे थे लेकिन अब वह शहरीकरण के दायरे में आए तो इन क्षेत्रों में खेती की जमीनों व हरे भरे जंगल की जमीनों पर भू-मापिफयाओं द्वारा फ्रलैट बनाने का जो अवैध् कारोबार चल रहा है उसके द्वारा मालिक की जमीन पर जहां एक मंजिला थी उसके स्थान पर तीन या चार मंजिला इमारत खड़ी हो गई, वह भी कम समय में भले ही उसकी नींव कम रखी गई हो लेकिन भवन निर्माण में उसका कार्यपूरा हो चुका होता है भले ही वह दो दिन बाद चरमरा कर गिर जाए।

इस निर्माण में केवल बिल्डर लॉबी ही दोषी नहीं है, इसमें इसके जे.ई. व नगर निगम के आला अध्किरी तक संलग्न पाए गए है। जिनकी वजह से भवन निर्माण होते रहे है, पिछले दिनों एक दैनिक पेपर द्वारा रोहिणी के तमाम इंजीनियरी विभाग की पोल का भण्डापफोड़ हुआ। उसमें अनेको आला अध्किरियों के नाम भी सामने आए। लेकिन यह कार्य एक व्यक्ति की मर्जी और सहमति से तो होने से रहा। इसलिए भवन निर्माण से संबंध्ति समस्त कर्मचारी इस योजना के निर्माण में शामिल पाए गए और आज भी अवैध् निर्माण का सिलसिला जोर शोर से जारी है, क्योंकि भवन निर्माण एक आर्थिक स्तर एक मजबूत और थोड़े समय में लाखों क्या करोड़ों का पफायदा पहुंचाने वाला ऐसा व्यापार बन गया है जो सिर्पफ सरकारी आकाओं के बलबूते पर पफल पूफल रहा है, इसके लिए अगर अध्किरी की सहमति हो तो एक ही दिन में लाखों की डील हो जाती है जिसमें चपरासी से लेकर आला अधिकारी और भवन निर्माण से लेकर पुलिसकर्मी जो उनको ऐसा करने से किसी प्रकार की कोई बाध न पहुंचा कर वह केवल यह कह भी देते है कि हमने इस अवैध् निर्माण की सूचना क्षेत्राय अध्किरियों को बतौर इतला कर दी है इस पर किसी प्रकार की कार्यवाही करना या न करना उनके अध्किर क्षेत्रा में आता है। हमारा उसमें कोई लेना देना नहीं है।

हालांकि अवैध् रूप से हो रही निर्माण की रफ्रतार से दिल्ली में पानी, बिजली, सड़क तथा अन्य तरह की अनेकों असुविधएं हो रही है पिफर भी भू मापिफया का जोर और वर्चस्व दोनों ही इस निर्माण के खेल में लगे हुए है। अब अवैध् रूप भवन निर्माण को लेकर कुछ क्षेत्रों में भले ही हड़कम्प मचा हो लेकिन इसका समाप्त करने का कोई ऐसा मूल्य मंत्रा नहीं बनाया जिससे यह तेजी से पैफलने वाला ऐसा मकड़जाल है जिसमें पूरी दिल्ली जकड़ी हुई है, दिल्ली के हर क्षेत्रा चाहे वह पूर्व हो या पश्चिम सभी स्थानों पर तेजी से भवन निर्माण का सिलसिला जारी है लेकिन इसके बनाने वालों पर अंकुश लगा सके, ऐसा कोई भी नियम आज भी सरकार द्वारा नहीं बनाया गया। जिससे अवैध् निर्माणां का काला कारोबार रोका जा सके और अन्य लोगों को राहत मिल सके। अब प्रश्न उठता है कब तक तक होगा अवैध् निर्माण का कारोबार।


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