आखिर कब रुकेगा निर-उद्देश्य रियाल्टी शो और धरावाहिकों का प्रसारण का सिलसिला

आखिर कब रुकेगा निर-उद्देश्य रियाल्टी शो और धरावाहिकों का प्रसारण का सिलसिला....

मुसापिफर देहलवी

आजकल टीवी चैनलों पर रियाल्टी शो के नाम पर जो कुछ दर्शकों के लिए परोसा जा रहा है वह अपने आपमें एक गंभीर चिंता का मुद्दा बनता जा रहा है। जहां पहले अनेकों सीरियलों में पारिवारिक कलहों का एक सिलसिला चल रहा था जिसमें क्योंकि सास भी कभी बहु थी, कहानी घर-घर की जैसे नाटकों ने केवल परिवार में प्यार आपसी संबंधें के बीच शक और ईष्या को प्रस्तुत कर अनेकों घर में क्लेश को ही बढ़ाया जिसने केवल परिवार में एक अलगाववादी विचारधरा को जन्म देते हुए न जाने कितने परिवार को टूट के कगार पर पहुंचा दिया तथा यह तमाम कहानियां किसी भी भारतीय मध्यम परिवार की कहानी न होकर केवल एक ध्नाड्य वर्ग के जीवनचर्या को ही परोस। 

इसी के साथ जब दर्शकों ने लंबी अवधि् तक चलने वाले इन धरावाहिकों से नाता तोड़ा तब कुछ नई सोच रखने वाले निर्देशकों ने बाल कलाकारों की भीड़ जमाकर नई सोच के नाम पर बच्चों की मानसिकता को कैश करने का मन बनाया जिसमें बालिका वध्ु के साथ अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजो, उतरन तथा न आना इस देश लाडो जैसे धरावाहिकों ने बालविवाह, भ्रूण हत्या के साथ बेटी बेचने की कहानियों के साथ जो समाज में नौकर और मालिक का संबंध् के बीच गरीब परिवार की जो मानसिकता है उसे आधरबनाकर उतरन जैसे धरावाहिक को प्रस्तुत कर जो कुरीतियों को हवा दी उसने केवल समाज में एक गलत संदेश ही छोड़ा तथा आने वाले तमाम किरदारों को मीडिया में जो स्थान सेंसर द्वारा नहीं दिया जाना था उसे महिमामंडित कर बालश्रम कानून का भी उल्लंघन किया गया जिसमें उदाहरणस्वरूप लिटिल चैम्प जैसे धारवाहिक कहे जा सकते हैं जिसके लिए संसद में इस बात को लेकर विपक्ष के कुछ नेताओं ने सूचना प्रसारण मंत्रा से इस मामले पर उनको आड़े हाथों लिया। इन सभी धरवाहिकों ने टीआरपी बढ़ाने के लिए अपने सीरियलों के व्यवसाय के लिए एसएमएस के जरिए दर्शकों को भी इस श्रेणी में ला खड़ा किया जिससे उनकी दोहरी कमाई हो सके जिसके अंतर्गत आने वाले सीरियलों मे कुछ ऐसे सीरियल भी उतारे गये जिसमें ससुराल सिमर का, बिग बॉस जो कई बार पहले भी रिलीज हुआ।

 कैसी मध्ुबाला, हिटलर दीदी, पुर्न विवाह, पिफर सुबह होगी, सपने सुहाने, परिचय, कबूल है, आदि के साथ कौन बनेगा करोड़पति जैसे सीरियलों की भरमार देखी जा सकती है, इससे पहले भी टैलेट के नाम पर सुरक्षेत्रा, व्रफाईम पेट्रोल, सावधान इंडिया आदि चल रहे है, इनमें कुछ सीरियल तो बढ़े अपराध् और बिगड़ती कानून व्यवस्था पर सीध्े बात करते है, वही दूसरी और भूत जैसे डरावने नाटक दर्शकों को उफबाउफ लगते है। हालांकि कुछ सीरियल पुरानीपरिपाटी पर ही आधरित है, सी.आई.डी. के साथ चिड़ियाघर जैसे भी है। लेकिन आजकल इंडिया टैलेण्ड तथा गायकों का मुकाबाल जैसे अनेकों ऐसे कार्यव्रफमों की बाढ़ सी आ गई जो केवल दर्शकों को भ्रमित करने के अलावा कुछ ऐसा उद्देश्यपूर्ण नहीं दे पाए जिससे दर्शकों और समाज में एक अच्छा संदेश जा सके। इन सीरियलों के बीच सच का सामना ने तो हद ही कर दी, जिसने समाज की तमाम पोशीदगी को बेनकाब करते हुए एक असहनीय मुद्दे को प्रस्तुत कर परिवार के बीच कलह का वातावरण ही पैदा किया जिसके लिए तमाम लोगों ने इसे बंद कराने का भी हो-हल्ला मचाया, यहां तक कि कुछ लोगों का कहना था कि ऐसे सीरियलों के प्रसारण की इजाजत प्रसारण मंत्रालय द्वारा दी गई थी। 

इन सीरियलों से कई लोगों ने अपनी जान तक गंवा दी जिसे तुरंत बंद किया गया जो समाज में अराजकता और हिंसा पैफलाने के अलावा कोई अतिरिक्त भूमिका नहीं अदा कर सकते। कई सीरियलों में तो राजस्थान, बिहार तथा अन्य पिछड़े राज्यों की गरीबी का मजाक उड़ाते हुए उसे कैश कराने की कोशिश की जा रही है जिसका प्रसारण शीघ्र ही रोका जाना चाहिए। इन रियाल्टी शो के बारे में कुछ लोगों का कहना है कि ऐसे कार्यव्रफम को प्रस्तुत करने का उद्देश्य केवल व्यवसायिक स्तर पर आगे बढ़ना है न कि कला क्षेत्रा में कोई प्रगति करना।




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